
वेब डेस्क :- रामायण काल के बारे में कई चर्चित कहानियां हैं। इन कहानियों में कई प्रमुख जगहों के बारे में भी उल्लेख किया जाता है। वर्तमान में जो स्थान भारत की सीमा से बाहर माने जाते हैं या जो अलग पड़ोसी देशों का रूप ले चुके हैं, वे भी रामायण काल में हमारे ही देश में माने जाते थे। ऐसे में कई बार मन में सवाल आता है कि रामायण काल में भारत की सीमा कहां-कहां पर थीं और कितना वर्तमान भारत के राज्यों की त्रेतायुग में क्या स्थिति थी।
सबसे पहले इस बात का उल्लेख करना जरूरी है कि रामायण काल में वर्तमान की तरह भारत नाम का कोई देश नहीं था बल्कि रामायण काल में आज के कई प्रमुख राज्य अन्य देश के रूप में जाने जाते थे जिनकी भाषा, रीति-रिवाज, संस्कार आदि में कई समानताएं थीं। आगे जाकर कई राज्यों को मिलाकर भारत देश का निर्माण किया गया। आइए, विस्तार से जानते हैं रामायण काल में भारत कैसा था।रामायण काल के 9 प्रमुख महाजनपद थे
रामायण काल यानी 5114 ईसा पूर्व में, भारत में 9 प्रमुख महाजनपद थे। हर महाजनपद में कई छोटे उपजनपद शामिल थे। ये नौ महाजनपद मगध, अंग (बिहार), अवन्ति (उज्जैन), अनूप (नर्मदा तट पर महिष्मती), सूरसेन (मथुरा), धनीप (राजस्थान), पांडय (तमिल), विन्ध्य (मध्यप्रदेश) और मलय (मलावार) थे। कैकयी, कौशल, अवध और मिथिला जैसे कई जाने-माने जनपद इन्हीं महाजनपदों के अंदर आते थे।