
जैसिंहनगर –शहडोल–वेदप्रकाश द्विवेदी
शहडोल जिले की ग्राम पंचायतें इन दिनों भ्रष्टाचार के दलदल में इस कदर फंसी हुई हैं कि अब हर दिन कोई न कोई नया घोटाला सामने आ रहा है। यह स्थिति सिर्फ एक दो पंचायतों की नहीं, बल्कि पूरे जिले की है, जहां परत दर परत भ्रष्टाचार की सच्चाइयाँ उजागर हो रही हैं — और सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर इस सबके पीछे कौन है?
रंग-रोगन से लेकर काजू-बादाम तक – फर्जी बिलों की भरमार
जिले की कई पंचायतों में “रंग-रोगन” के नाम पर लाखों रुपए के फर्जी बिल तैयार किए जा रहे हैं। वहीं कुछ पंचायतों में तो काजू-बादाम, मिठाई और भोज के नाम पर हजारों-लाखों के बिल बनाकर सरकारी राशि का दुरुपयोग किया जा रहा है।
आश्चर्य की बात यह है कि कई जगह रंगाई-पुताई का कोई कार्य नहीं हुआ, लेकिन बिलों में लिखा गया कि पंचायत भवन चमक रहा है। इसी तरह, बिना कोई भोज हुए भोज का खर्च जोड़ दिया गया — और यह सब कुछ अधिकारी जानते हुए भी चुपचाप बैठे हैं।
जिला पंचायत सीईओ, जनपद सीईओ या फिर “ऊपर बैठे बड़े अधिकारी”?
अब सवाल यह उठता है कि शहडोल जिले में यह भ्रष्टाचार किसके संरक्षण में फल-फूल रहा है?
क्या जिला पंचायत सीईओ इस खेल में शामिल हैं?
क्या जनपद पंचायत सीईओ अपनी आंखें बंद किए हुए हैं?
या फिर जिले के और भी बड़े जिम्मेदार अधिकारी इस पूरे खेल के सूत्रधार हैं?
जब फर्जी बिल पास हो रहे हैं, पैसा ट्रांसफर हो रहा है, कार्यों का निरीक्षण नहीं हो रहा — तो कहीं न कहीं प्रशासनिक लापरवाही या मिलीभगत साफ झलकती है।
नियमों की धज्जियां और आमजन की उपेक्षा
इन घोटालों से यह स्पष्ट है कि पंचायतों में न तो कोई जवाबदेही बची है और न ही कोई नियंत्रण व्यवस्था। नियमों और प्रक्रियाओं की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, और आम जनता को मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है।
जब काजू-बादाम खाने वालों के दस्तावेज़ नहीं मिलते, और रंगाई के नाम पर दीवारें बिना पुताई के खड़ी मिलती हैं, तब यह स्पष्ट हो जाता है कि जनता की गाढ़ी कमाई को कुछ भ्रष्ट लोग निजी तिजोरियों में भरने में लगे हैं।
अब सवाल उठता है – क्या ये प्रशासनिक चूक है या प्रायोजित लूट?
जनता जानना चाहती है —
क्या इन घोटालों पर कोई कठोर जांच होगी?
क्या दोषी सचिव, सरपंच और अधिकारी निलंबित होंगे या उन्हें बचा लिया जाएगा?
क्या “ऊपर से आदेश” आकर इन घोटालों को नजरअंदाज करने को कहते हैं?
निष्कर्ष:
शहडोल जिले की पंचायत व्यवस्था गंभीर संकट में है। यदि समय रहते जांच, जवाबदेही और कठोर कार्रवाई नहीं हुई, तो यह व्यवस्था पूरी तरह जनता से कट जाएगी। शासन और प्रशासन को चाहिए कि वह तुरंत इन फर्जीवाड़ों की निष्पक्ष जांच कराए, दोषियों को सस्पेंड करे और एक कड़ा संदेश दे कि जनधन की लूट अब और बर्दाश्त नहीं होगी